Sunday, March 14, 2010
अपोजी खत्म होने के बाद कैम्पस सूना-सूना लग रहा है | जहां अपोजी के दौरान करने को इतना कुछ था पर कुछ भी करने का समय नहीं मिल रहा था, वहीं अब तो समय ही समय है लेकिन करने को कुछ नहीं है | खाली बैठे-बैठे सोचा कि चलो इसी के साथ अपना ब्लॉग - लेखन ही शुरू कर दूं | 4 दिन की मस्ती के बाद फिर वही बोरिंग टेस्ट सीरीज़ | अब तो पढ़ने का भी मन नहीं कर रहा | इतने दिन सीनियर्स को लूट कर अच्छा खाना खाने के बाद अब वापस मेस में खाना पड़ेगा | :P
इस अपोजी ब्रह्मोस एयरोस्पेस के एम.डी. ‘ए.एस. पिल्लई’ से मिलने का अनुभव सबसे शानदार रहा | साथ ही हम सब की, वर्ड वॉर्स पर की हुई, लगभग ढाई महीने की मेहनत भी रंग लायी | करीब 120 टीमों के पंजीकरण की तो शायद मुझे उम्मीद भी नहीं थी | हाँ, किसी भी इवेंट में न जीत पाने का मलाल तो रहेगा परन्तु सैमसंग की ओर से मिली टी-शर्ट शायद मुझे अगली बार कुछ जीतने की आशा दे रही है | वैसे शायद ये टी-शर्ट अगली होली पर ही काम आएगी | :P
अकैड्स, क्लब का काम और मस्ती बैलेंस करने के बीच कब ये आधा सेम गुज़र गया, कुछ पता ही नहीं चला | अतीत की गहराई में झांकता हूँ तो लगता है कि अभी कल ही तो मैं बिट्स में आया था और यकीन ही नहीं होता कि इतनी जल्दी मेरी इस पंचवर्षीय योजना का पहला साल खत्म होने को आ गया है | जब कॉलेज में आया था तो कोई ऐसी खास चाह नहीं थी – टेन पॉइंटर बनने की या अच्छी डुअल पाने की, चाह थी तो बस पूरे बिट्स में अपनी अलग पहचान बनाने की | बहुत कुछ नया सीखने की, करने की और अपनी कॉलेज लाइफ में पूरी तरह मस्ती करने की | और कुछ हद तक मैं इसमें सफल भी रहा | संगम नाईट की माइम हो या मेटामोरफोसिस की लघु-चलचित्र के लिए किया अभिनय, या मेरा एक पत्रकार (यद्यपि पागल पत्रकार) बन जाना, इन सभी को पूरा लुत्फ़ उठाते हुए किया | इस साल मेरे अनगिनत नामों में दो और नामों की वृद्धि भी हुई और मुझे “मुन्ना” और “स्टुअर्ट लिटिल” जैसे उपनामों से नवाजा गया ( वैसे क्या ये उपलब्धि है ?? :-) ) | साल के तीनों फेस्ट – बॉसम, ओएसिस और अपोजी में हिंदी प्रेस क्लब के साथ की हुई भरपूर मस्ती की यादें हमेशा साथ रहेंगी | अब तो बस यही आशा है कि अगले चार साल इससे भी ज़्यादा मस्ती से गुज़रें |
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
mujhe nahi pata tha ki tum itna accha likh lete ho :)
ReplyDeleteअति उत्तम :)
ReplyDeletehume yah dekh kar badi kushi ho rahi hai ki apke peeche jo painting hai wah hamare rachna hai :)
ReplyDeleteबहुत अच्छा ब्लॉग लिखा है भाई ..
ReplyDeletecongrats and keep it up ..
may god bless u with more n more happiness in ur life ....
tc always ...
You have definitely succeeded in making apni alag pehchaan..and i wish(and know) that u will do a lot more in the coming years..just always be like this(cute and innocent , if i may say so :P )..Nice insight and expression ..
ReplyDeleteP.S. I like the tagging..though it made me senti :D
bahut hi badhiya likha hai ......... keep it up
ReplyDelete...... aur tum bits se jate jate apni alag pehchaan zaroor bana loge :)
kishan
स्टुअर्ट सा कद हुआ तो क्या ????
ReplyDeleteसपने पाले बेहिसाब ये ...
टांग खीचना..वाट लगाना .. ट्रीट पे जाना...
इतने शौख पिद्दी जनाब के :P
gud job nishank ji...
ReplyDeletemaza aa gya..:)
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteWelcome to blogosphere nishank. nice post. Btw कैम्पस सूना सूना लगने की कोई विशेष वजह तो नहीं :p
ReplyDeleteगुड गुड !! कीप इट उप !! नाइस एफ्फोर्ट्स | कीप रोकिंग माय फ्रेंड :)
ReplyDeleteबेटा पहली टिप्पणी मुन्नी की.....क्यों? लिखते ही एस.एम.एस भेज दिया था क्या? :D
ReplyDeleteमुझे पोस्ट का टैग अच्छा लगा - "लोकेश भैया का आखरी अपोजी" !! हो हो !!
चलो लिखते रहो.. शुभकामनाएं...
thankx to all of you..
ReplyDeletejab maine pehla post kiya tha to wo online thi..
isliye uska pehla comment hai :)
Awesome work, Stuart Little!! Phod diya re..
ReplyDeleteTumhe "Stuart Little" naam dene ka credit bhi de dete mujhe..mai thodi aur pouplar ho jati... :P
Btw..My only advice is-keep writing..
Just dont let the flow go away!! :)
Kudos...